सोमवार, 30 नवंबर 2009


जै वैष्णो माता, मैया जै वैष्णो माता ।


हाथ जोड़ तेरे आगे, आरती मैं गाता ॥

जै वैष्णो माता…

शीश पे छत्र बिराजे, मूरतिया प्यारी ।

गंगा बहती चरनन, ज्योति जगे न्यारी ॥

जै वैष्णो माता…

ब्रह्मा वेद पढ़े नित द्वारे, शंकर ध्यान धरे ।

सेवक चंवर डुलावत, नारद नृत्य करे ॥

जै वैष्णो माता…

सुंदर गुफा तुम्हारी, मन को अति भावे ।

बार-बार देखन को, ऐ मां मन चावे ॥

जै वैष्णो माता…

भवन पे झण्डे झूले, घंटा ध्वनि बाजे ।

ऊंचा पर्वत तेरा, माता प्रिय लागे ॥

जै वैष्णो माता…

पान सुपारी ध्वजा नारियल, भेंट पुष्प मेवा ।

दास खड़े चरणों में, दर्शन दो देवा ॥

जै वैष्णो माता…

जो जन निश्चय करके, द्वार तेरे आवे ।

उसकी इच्छा पूरण, माता हो जावे ॥

जै वैष्णो माता…

इतनी स्तुति निशदिन, जो नर भी गावे ।

कहते सेवक ध्यानू, सुख संपति पावे ॥

जै वैष्णो माता…

कोई टिप्पणी नहीं: