शुक्रवार, 27 नवंबर 2009

महंगाई

धनबाद, [बलदेव राज अरोड़ा]। चाय की प्याली के साथ ब्रेड ली, बटर लगाया और हो गया ब्रेकफास्ट। लेकिन स्लो-स्लो बटर की दर ने दौड़ लगाई, इसके पीछे-पीछे ब्रेड भी हो ली। चाय की चुसकी पर पहले से ही चीनी का पहरा था अब पत्ती भी गुस्ताखी पर उतर आई है। नाश्ते की प्लेट पर महंगाई की ऐसी मार पड़ी कि प्लेट छोटी हो गई। पहले पाच फिर छह अब सात अन्यास ही खरीददार के मुंह से अब ये निकल पड़ता है कि क्या महंगाई नाश्ते की प्लेट को भी निगल जाएगी।





जी हा! छोटी ब्रेड के दाम इस रफ्तार से बढ़े कि जोर का झटका धीरे से लगा बड़े साइज की ब्रेड 10 की जगह अब 14 रुपये ने ले ली है। नाश्ते में बिस्कुट लेने वालों को बरगलाने के लिए ब्राडेड कंपनियों ने तो ऐसा फारमूला अख्तियार किया कि साप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। इन कंपनियों ने अपने उत्पाद बिस्कुट के दाम में कोई बढ़ोतरी नहीं की अलबत्ता उनके वजन में कटौती जरूर कर दी। खरीदने वाला यदि वजन पर ध्यान देता है तब महसूस करता है कि महंगाई का वार इस तरह के हथकंडे अपनाने के लिए इन कंपनियों को विवश कर रही है।




झरिया कोयलाचल में गुरुवार को आलम यह रहा कि पूरे बाजार में खोजने पर भी बटर नहीं मिला। इसकी भी कहानी कुछ ऐसी है पहले 18 रुपये फिर 19 रुपए और अब 22 रुपए में भी महाराज के लिए मारामारी हो रही है और महाराज गायब हैं। सुप्रभात की चाय की चुसकी का भी चाय पत्ती और दूध ने मजा किरकिरा कर दिया है। क्योंकि इनके भाव भी परवान चढ़ चुके हैं। 120 रुपये किलो बिकने वाली चायपत्ती इन दिनों 160-170 रुपए किलो पहुंच गई है। दूध को ही लीजिए कहीं 22 तो कहीं 25 रुपये किलो बिक रहा है जबकि 18 से 20 रुपए में यह उपलब्ध था। चीनी के दाम क्या बढ़े कि चाय कसैली लगने लगी है।



इन दिनों खुले बाजार में चीनी 37-38 रुपये किलो बिक रही है। महंगाई का आलम यह है कि नाश्ता की प्लेट से ब्रेड, बटर ही गायब हो गया है। नाश्ते में अंडे के शौकीन लोग दाम अंडे के दाम बढ़ते ही किनारा करने लगे।



आलम यह है कि खाने-पीने की चीजों में महंगाई थमने का नाम नहीं ले रही है। आलू, प्याज, पोल्ट्री उत्पाद एवं दाल जैसी चीजों के दामों में और तेजी के चलते थोक मूल्यों पर आधारित खाद्य पदार्थो की महंगाई दर 14 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 1.03 फीसदी बढ़कर 15.58 प्रतिशत हो गई।

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