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हिन्दू धर्म (
संस्कृत: सनातन धर्म) विश्व के सभी बड़े धर्मों में सबसे पुराना धर्म है । यह 
वेदों पर आधारित 
धर्म है जो अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय, और दर्शन समेटे हुए है। हिन्दू धर्म 
विज्ञान के नियम पर आधरित जीवन शैली है। यह अत्यन्त लचीला एवं उदार धर्म है। ये दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है, पर इसके ज़्यादातर उपासक 
भारत में हैं और विश्व का सबसे ज्यादा हिन्दुओं का प्रतिशत 
नेपाल में है । 
नेपाल विश्व का एक मात्र आधुनिक हिन्दू राष्ट्र था (नेपाल के लोकतान्त्रिक आंदोलन के पश्चाक का अंतरिम 
संविधान में किसी भी धर्म को राष्ट्र धर्म घोषित नहीं किया गया है। नेपाल हिन्दू राष्ट्र होने या ना होने का अंतिम फैसला संविधान सभा के चुनाव से निर्वाचित विधायक करेंगे)। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन असल में ये एकेश्वरवादी धर्म है। हिन्दी में इस धर्म को 
सनातन धर्म अथवा 
वैदिक धर्म भी कहते हैं। 
इंडोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "
हिन्दु आगम" है।
  
 वर्ण व्यवस्था हिन्दू धर्म में प्राचीन काल से चले आ रहे सामाजिक गठन का अंग है, जिसमें विभिन्न समुदायों के लोगों का काम निर्धारित होता था । इन लोगों की संतानों के कार्य भी इन्हीं पर निर्भर करते थे तथा विभिन्न प्रकार के कार्यों के अनुसार बने ऐसे समुदायों को जाति या वर्ण कहा जाता था । प्राचीन भारतीय समाज 
क्षत्रिय, 
ब्राह्मण, 
वैश्य तथा 
शूद्र वर्णों में विभाजित था ।क्षत्रिय शासन,युद्ध तथा राज्य के कार्यों के उत्तरदायी थे जबकि ब्राह्मणों का कार्य शास्त्र अध्ययन, वेदपाठ तथा यज्ञ कराना होता था वैश्यों का काम व्यापार तथा शूद्रों का काम सेवा प्रदान करना होता था । प्राचीन काल में यह सब संतुलित था तथा सामाजिक संगठन की दक्षता बढ़ानो के काम आता था। पर कालान्तर में ऊँच-नीच के भेदभाव तथा आर्थिक स्थिति बदलने के कारण इससे विभिन्न वर्णों के बीच दूरिया बढ़ीं । आज आरक्षण के कारण विभिन्न वर्णों के बीच अलग सा रिश्ता बनता जा रहा है । कहा जाता है कि हिटलर भारतीय वर्ण व्यवस्था से बहुत प्रभावित हुआ था । 
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  शिव ईश्वर का रूप हैं। 
हिन्दू धर्म के प्रमुख 
देवताओं में से हैं । 
वेद में इनका नाम 
रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं।
इनकी अर्धाङ्गिनी (
शक्ति) का नाम 
पार्वती है। इनके पुत्र 
स्कन्द और 
गणेश हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में 
योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी 
पूजा लिंग के रूप में की जाती है । भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है ।
  श्रीमद्भग्वदगीता के अनुसार "
 | “ |  सहस्र-युग अहर-यद ब्रह्मणो विदुः |  „ |  
  
 |  
", अर्थात ब्रह्मा का एक दिवस = 1000 महायुग. इसके अनुसार ब्रह्मा का एक दिवस = 4 अरब 32 खरब सौर वर्ष. इसी प्रकार इतनी ही अवधि ब्रह्मा की रात्रि की भी है।   
  
     
  राधा का एक राजस्थानी चित्र
    
 चैतन्य महाप्रभु(1486-1533) भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में से एक हैं। इन्होंने वैष्णवों के गौड़ीय संप्रदाय की आधारशिला रखी। भजन गायकी की एक नयी शैली को जन्म दिया तथा राजनैतिक अस्थिरता के दिनों में हिंदू मुस्लिम एकता की सद्भावना को बल दिया, जाति-पांत, ऊंच-नीच की भावना को दूर करने की शिक्षा दी तथा विलुप्त वृंदावन को फिर से बसाया और अपने जीवन का अंतिम भाग वहीं व्यतीत किया। चैतन्य महाप्रभु का जन्म सन १४८६ की 
फाल्गुन शुक्ल 
पूर्णिमा को 
पश्चिम बंगाल के नवद्वीप (नादिया) नामक उस गांव में हुआ, जिसे अब 
मायापुर कहा जाता है। यपि बाल्यावस्था में इनका नाम विश्वंभर था, परंतु सभी इन्हें निमाई कहकर पुकारते थे। गौरवर्ण का होने के कारण लोग इन्हें गौरांग, गौर हरि, गौर सुंदर आदि भी कहते थे। चैतन्य महाप्रभु के द्वारा 
गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय की आधारशिला रखी गई। उनके द्वारा प्रारंभ किए गए महामंत्र नाम संकीर्तन का अत्यंत व्यापक व सकारात्मक प्रभाव आज पश्चिमी जगत तक में है। इनके पिता का नाम जगन्नाथ मिश्र व मां का नाम शचि देवी था। निमाई बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा संपन्न थे। साथ ही, अत्यंत सरल, सुंदर व भावुक भी थे। इनके द्वारा की गई लीलाओं को देखकर हर कोई हतप्रभ हो जाता था।
 
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