रविवार, 7 मार्च 2010

सत्संग सुनने के लिए यहाँ पधारे

सत्संग सुनने के लिए यहाँ पधारे :-http://hariomgroup.googlepages.com/latestsatsang

संत शिरोमणि परम पूज्य श्री आसारामजी बापू के अमृत वचन :-    ना कि भगवानके वचन यह विशेष व्यक्ति के द्वारा उचारित वचन हैं अपनी बुधी के घोड़े दोडाइए आपको इसमें स्वार्थ की बू आये गी |
मन के कहेने में बुध्दी सहायक बन जाती और मन इन्द्रियों के कहेने पे चले तो बुध्दी कमजोर है ..लेकिन विकारी माहोल के समय भी परमात्म प्रसादजा मति है तो बुध्दी मजबूत है....और ऐसी भगवत प्रसाद-जा मति के बिना दुःख नही मिट सकता..!हजारो वर्ष की तपस्या कर ले , हजारो शीर्षासन कर ले , करोडो अब्जो रूपया इकठ्ठा कर ले... लेकिन दुःख नही मिट सकता...यहाँ तक की भगवान साथ में खड़े है तो भी दुःख नही मिट सकता..... अर्जुन का दुःख नही मिटा था...भगवान के दर्शन हो जाते तो भी दुःख नही मिटता.. ..जब भगवान ने गीता का सत्संग दिया तो अर्जुन का दुःख मिटा..
इसलिए जो सत्संग करता है, करने-कराने में भागीदार होता है , वो अपना और अपने ७ पीढियों का कल्याण कर लेता है...सत्संग में आने के लिए और सत्संग समझने के लिए जीवन में व्रत की आवश्यकता है...

यह वचन हैं बापू आसा राम के ७ पिडियों के कल्याण हेतु कोन सत्संग को नही चाहता ,सभी चाहें गे परन्तु बापू जो सत्संग कर के दिखाते हैं उसका स्वरूप भाषण के माहोल जेसा होता है. जहां बापू जोबोलें आपको सुनना ही होगा .श्रवण की उस घड़ी जो प्रश्न आप के मन में उठें उन के जवाब बापू नही दें गे .सत्संग यानि सच का साथ ,सच का साथ तभी होगा जब वहीं समस्त जिज्ञासाओं का समा-धान हो अन्यथा भाषण है जिसमे राशन नही है  

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